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गले के कैंसर के कारण, लक्षण और इलाज – Throat Cancer Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

आमतौर पर लोग कई बीमारियों के कारण परेशान रहते हैं, जिसके पीछे बड़ा कारण गलत खान-पान की आदतें होती हैं। कैंसर भी ऐसी ही बीमारी है, जो नशे के साथ-साथ कई अन्य कारणों से भी लोगों को अपना शिकार बना लेती है। ध्यान रहे, कैंसर किसी एक समस्या का नाम नहीं है, बल्कि कई समस्याओं के संयुक्त रूप को कैंसर के रूप में परिभाषित किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शरीर के अंग और जगह के हिसाब से इसे करीब 100 से अधिक भागों में विभाजित किया गया है। उन्हीं में से एक है गले का कैंसर (1) (2)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको गले के कैंसर के लक्षण, कारण और इससे बचने के उपाय के बारे में बता रहे हैं।

गले के कैंसर के कारण और लक्षण जानने से पहले बेहतर होगा कि गले का कैंसर क्या है, इस संबंध में थोड़ी जानकारी हासिल कर लें।

गले का कैंसर क्या है – What is Throat Cancer in Hindi

What is Throat Cancer in Hindi

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गले का कैंसर क्या है? इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमें सबसे पहले कैंसर को समझना होगा। दरअसल, हमारा शरीर आवश्यकतानुसार कोशिकाओं का निर्माण करता है और पुरानी कोशिकाओं को अपने आप ही नष्ट करता है। जब यह प्रक्रिया किसी कारणवश प्रभावित हो जाती है, तो नई कोशिकाएं बनने लगती हैं और पुरानी कोशिकाएं नष्ट नहीं होती है। इससे कोशिकाओं का असामान्य विकास शुरू हो जाता है, जिससे शरीर के अंदर एक गांठ का निर्माण होता है। शरीर के अंदर बनने वाली यह गांठ ट्यूमर कहलाती है, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेती है (1)

ध्यान देने वाली बात यह है कि सभी ट्यूमर कैंसर में नहीं बदलते, बल्कि जो ट्यूमर शरीर के ऊतकों (टिश्यू) या अंगों के करीब होते हैं, वो बढ़ने पर उन ऊतकों और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर जैसी गंभीर समस्या को जन्म देते हैं। जब यही प्रक्रिया गले के विभिन्न भागों में होना शुरू होती है, तो इसे गले का कैंसर कहा जाता है (1) (2)

लेख के अगले भाग में अब हम आपको गले के कैंसर के प्रकार के बारे में बताएंगे।

गले के कैंसर के प्रकार – Types of Throat Cancer In Hindi

गले के कैंसर के प्रकार को गले के अलग-अलग हिस्सों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। आइए, इनके बारे में हम थोड़ा विस्तार से जानते हैं (2)

  • ऑरोफरीन्जियल कैंसर- गले के मध्य हिस्से यानी मुंह और जीभ के पीछे का हिस्सा ऑरोफरीनक्स कहलाता है। इस हिस्से में कैंसर होने पर इसे ऑरोफरीन्जियल कैंसर कहा जाता है (3)
  • हाइपोफरीन्जियल कैंसर- गले के सबसे निचले हिस्से को हाइपोफरीनक्स कहा जाता है। गले के इस हिस्से में कैंसर की कोशिकाओं का विकास हाइपोफरीन्जियल कैंसर कहलाता है (4)
  • नासोफरीन्जियल कैंसर- नाक के पीछे का भाग यानी गले का सबसे ऊपरी हिस्सा नासोफरीनक्स कहलाता है। गले के इस हिस्से में कैंसर होने की स्थिति में इसे नासोफरीन्जियल कैंसर कहा जाता है (5)
  • लैरीयंगल कैंसर- जीभ के निचले हिस्से और ट्रेकिया के बीच के भाग को लैरिंक्स (ध्वनि यंत्र) कहा जाता है। गले के इस भाग में जब कैंसर कोशिकाएं पनपती हैं, तो कैंसर का यह प्रकार लैरीयंगल कैंसर कहलाता है। बता दें कि लैरिंक्स के मुख्य तीन भाग होते हैं। उनके हिसाब से लैरीयंगल कैंसर को भी तीन भागों (सुपरग्लोटिस, ग्लोटिस और सबग्लोटिस) में बांटा गया है (6)

गले के कैंसर के प्रकार से संबंधित जानकारी हासिल करने के बाद अब हम गले के कैंसर के कारण जानने की कोशिश करेंगे।

गले के कैंसर के कारण और जोखिम कारक – Causes and Risk Factors of Throat Cancer in Hindi

Causes and Risk Factors of Throat Cancer in Hindi    

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गले के कैंसर के कारण समझने के लिए आइए हम निम्न बिंदुओं पर नजर डालते हैं (7)

  • तंबाकू चबाना।
  • सिगरेट पीना।
  • अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन।
  • शराब के साथ सिगरेट पीने से गले का कैंसर होने की आशंका प्रबल हो जाती है।
  • ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कारण, जो अप्राकृतिक यौन संबंध के कारण मुख्य रूप से गले के कैंसर का कारण बनता है।

लेख के आगे के भाग में हम गले के कैंसर के लक्षण जानने का प्रयास करेंगे।

गले के कैंसर के लक्षण – Symptoms of Throat Cancer in Hindi

गले के कैंसर के लक्षण निम्न प्रकार से हैं (7)

  • असामान्य (तेज आवाज के साथ) सांस लेना।
  • खांसी आना।
  • खांसी के साथ खून आना।
  • खाना निगलने में तकलीफ।
  • आवाज का भारी होना (गला बैठना), जो तीन से चार सप्ताह के बाद भी ठीक न हो।
  • गले की खराश, जो दो से तीन सप्ताह बाद भी ठीक न हो।
  • गले में सूजन या गांठ का होना।
  • असामान्य तरीके से वजन का कम होना।

गले के कैंसर के लक्षण के बाद अब हम गले के कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है, इस बारे में जानेंगे।

गले के कैंसर का इलाज – Treatment of Throat Cancer in Hindi

Treatment of Throat Cancer in Hindi

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उपचार के कुछ खास तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर गले के कैंसर का इलाज किया जाता है। आइए, उनके बारे में जानने के लिए लेख में आगे बढ़ते हैं (7)

  1. सर्जरी : सर्जरी ऐसा तरीका है, जिसकी सहायता से गले का ऑपरेशन कर उसमें मौजूद कैंसर कोशिकाओं को बाहर निकाल दिया जाता है।
  2. रेडिएशन थेरेपी : इलाज की इस प्रक्रिया को कैंसर की प्रारंभिक स्थिति में अपनाया जाता है, जब ट्यूमर या कैंसर कोशिकाओं का अधिक विकास नहीं होता है। इसमें रेडिएशन के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है।
  3.   कीमोथेरेपी : इलाज की इस प्रक्रिया में कुछ खास दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है, जो रेडिएशन थेरेपी को अधिक प्रभावी बना देती हैं।
  4. लेरिंजेक्टॉमी : जब कैंसर कोशिकाएं इस हद तक बढ़ जाती हैं, तो उन्हें नष्ट कर पाना मुश्किल हो जाता है। उस स्थिति में स्वर यंत्र को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। उपचार की इस प्रक्रिया को लेरिंजेक्टॉमी कहा जाता है।

गले के कैंसर का इलाज के बाद अब हम इस समस्या में किए जाने वाले परहेज के बारे में जानेंगे।

गले के कैंसर में परहेज – What to Avoid During Throat Cancer in Hindi

गले में कैंसर की स्थिति में आपको निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना होता है (7)

  • तंबाकू का सेवन न करें।
  • धूम्रपान से दूर रहें।
  • शराब का सेवन न करें।
  • अप्राकृतिक यौन संबंध से दूरी बनाएं।

परहेज के बाद अब हम आपको गले के कैंसर से बचाव के कुछ अन्य उपाय बताने जा रहे हैं।

गले के कैंसर से बचने के उपाय – Prevention Tips for Throat Cancer in Hindi

गले के कैंसर से बचाव के निम्न उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर आप इस समस्या को खुद से काफी हद तक दूर रख सकते हैं (8)

  • संतुलित आहार लें।
  • आहार में पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियों और फलों को शामिल करें।
  • वजन कम करने का प्रयास करें।
  • मुंह की नियमित सफाई करें।
  • सुपारी के उपयोग से दूर रहें।
  • नियमित व्यायाम करें।

अब जब आप गले के कैंसर से अच्छी तरह परिचित हो गए हैं, तो जरूरी है कि लेख में सुझाए गए इससे बचाव के तरीकों को ध्यान में रखें, ताकि भविष्य में यह बीमारी आपके पास फटकने न पाए। वहीं, अगर आप दुर्भाग्यवश इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो यही मौका है, इस बीमारी के प्रति सजग होने का। इसके लिए करना बस इतना है कि लेख में बताए गए कारण, लक्षण और सावधानियों को अच्छे से समझें और इस समस्या के मुख्य जोखिम कारकों को खुद पर हावी न होने दें। वहीं, समस्या अगर बढ़ चुकी है, तो बताए गए उपचार के तरीकों में से उचित तरीके को चुने और अपने डॉक्टर से सलाह लें। उम्मीद करते हैं कि गले के कैंसर से जूझ रहे कई परिवारों के लिए यह लेख लाभदायक साबित होगा। इस विषय से संबंधित कोई अन्य सवाल या सुझाव हो, तो उन्हें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक जरूर पहुंचाएं।

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